नवंबर, 2018 : भारत में यह पहला अवसर है जबकि डाॅ अषोक सेठ के नेतृत्व और प्रोफेसर सैबल कार के सहयोग से 69 वर्शीय एक मरीज़ के हार्ट वाल्व की मरम्मत मिट्राक्लिप की मदद से कैथेटर आधारित प्रक्रिया से की गई। मरीज़ को बार-बार हार्ट फेलियर की षिकायत थी और इस मामले में हार्ट सर्जरी करना नामुमकिन था। मरीज़ की 13 साल पहले बायपास सर्जरी हो चुकी है और हाल में उनका हार्ट फूलने लगा था जो कि वाल्व में रिसाव का परिणाम था। ऐसे मरीज़ों के मामले में वाल्व की मरम्मत की जाती है या उसे बदला जाता है लेकिन अक्सर यह सर्जरी काफी जोखिम भरी होती है और कई बार ऐसे मामलों में मरीज़ को कोई फायदा भी नहीं मिलता। लिहाज़ा, इस मामले में डाॅक्टरों ने उनके लिए मिट्राक्लिप प्रोसीजर चुना जो कि सफल रहा है।
डाॅ अषोक सेठ, चेयरमैन, फोर्टिस एस्काॅर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट ने कहा, ’’मिट्राक्लिप दरअसल, हृदय के भीतर स्थित वाल्व की मरम्मत करने की कैथेटर आधारित नाॅन-सर्जिकल प्रक्रिया है और इसे कैथ लैब में किया जाता है। इसमें मरीज़ के ग्राॅइन के भीतर एक बड़ी रक्तवाहिका से स्पेषल कैथेटर को हार्ट के दाएं चैंबर से होते हुए बाएं चैंबर में प्रविश्ट कराया जाता है और ऐसा करने के लिए दोनों के बीच मौजूद पार्टिषन, जिसे इंटरएट्रियल सैप्टम कहा जाता है, में छेद करना पड़ता है। इसके बाद, इकोकार्डियोग्राफी और एक्स-रे की मदद से उस वाल्व पर एक क्लिप लगायी जाती है जिससे रिसाव हो रहा है होता है ताकि रिसाव को कम किया जा सके। इसके परिणामस्वरूप मरीज़ की हालत में सुधार आने लगता है। मरीज़ को आमतौर पर 24-48 घंटे के भीतर अस्पताल से छुट्टी भी मिल जाती है।‘‘
प्रोफेसर सैबल कार, सेडार्स सिनाइ हार्ट सेंटर, लाॅस एंजेल्स ने कहा, ’’न्यू इंग्लैंड जर्नल आॅफ मेडिसिन में प्रकाषित हाल में संपन्न सीओएपीटी परीक्षण से यह साबित हुआ है कि मिट्राक्लिप प्रोसीजर से न सिर्फ मरीज़ की हालत और उसके अन्य लक्षणों में सुधार होता है बल्कि उसे 2 साल से अधिक का जीवनदान भी मिलता है। भारत में मिट्राक्लिप के आने से हमें उम्मीद है कि उन मरीज़ों को निष्चित ही फायदा पहुंचेगा जिनकी हालत वाल्व में रिसाव के चलते, दवाओं के बावजूद लगातार बिगड़ रही है और जो कि किसी भी प्रकार की वाल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी कराने लायक नहीं हैं।‘‘
बिना ओपन हार्ट सर्जरी किए मित्राक्लिप से मिट्रल वाल्व रिपेयर की प्रक्रिया हाल में विकसित इनोवेटिव वैज्ञानिक तकनीक है। कुछ साल पहले तक यह कल्पना भी नहीं की जा सकती थी कि हार्ट के भीतर स्थित वाल्व को कैथेटर की मदद से रिपेयर किया जा सकता है, मसलन - हार्ट को खोले बगैर एंजियोप्लास्टी करना और मरीज़ को कार्डियोपल्मोनेरी बायपास पर रखना। मिट्रल वाल्व में रिसाव की समस्या कोरोनरी आर्टरी रोग, हार्ट अटैक अथवा बायपास सर्जरी करवा चुके करीब 5 फीसदी लोगों को अपनी गिरफ्त में लेती है और यह उम्र के साथ बढ़ती रहती है। वाल्व में लगातार रिसाव होने से हार्ट पर दबाव बढ़ता है जिसके चलते मरीज़ को सांस लेने में तकलीफ होती है। इस स्थिति में इलाज नहीं कराने से हार्ट एन्लार्ज हो जाता है या फिर हार्ट फेल होने और मृत्यु की आषंका रहती है। ऐसे मरीज़ आमतौर पर या तो वाल्व सर्जरी के अधिक जोखिम को झेलते हैं या फिर उन्हें इससे कोई फायदा नहीं पहुंचता।
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